टाइप 2 मधुमेह में खराब नींद बढ़ा सकती है आप का HbA1c लेवल

239 0
bad sleep
0
(0)

जब टाइप 2 मधुमेह प्रबंधन की बात आती है तो नींद के महत्व को अक्सर कम आंका जाता है लेकिन सच तो यह है कि अध्ययनों में खराब नींद की गुणवत्ता और HbA1c (जो लम्बे समय तक ब्लड शुगर नियंत्रण का एक प्रमुख संकेत है) स्तर के ज्यादा होने बीच एक महत्वपूर्ण संबंध सामने आया है।

इस ब्लॉग में, हम नींद और मधुमेह के बीच एक जटिल संबंध पर प्रकाश डालगें और आप यह भी जानेगें कि पूरी नींद न लेना हमारे HbA1c स्तर को कैसे प्रभावित करता है, इस में शामिल अंतर्निहित तंत्र (अंडरलाईंग मेकेनिज़म) और बेहतर मधुमेह प्रबंधन के लिए, नींद की गुणवत्ता में सुधार की कुछ प्रभावी रणनीतियाँ शामिल हैं।

HbA1c स्तर पर ख़राब नींद का प्रभाव

टाइप 2 मधुमेह में अधूरी नींद और HbA1c स्तर के ज्यादा होने के बीच छिपे सम्बन्ध का खुलासा करते हुए, ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण और सम्पूर्ण स्वास्थ्य में एक अच्छी नींद के महत्व पर जोर दिया गया।

बाधित इंसुलिन संवेदनशीलता:

पूरी नींद न लेना इंसुलिन संवेदनशीलता को ख़राब कर सकता है, जिस से कोशिकाओं (सेल्स) द्वारा ग्लूकोज का अवशोषण

(एब्सोर्बशन) कम हो जाता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यह समस्या समय के साथ HbA1c स्तर के बढ़ने में योगदान का कारण बन सकती है।

भूख का बढ़ना :

नींद की कमी लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ देती है। इस असंतुलन के कारण भूख बढ़ सकती है, ऐसे में मीठा और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली चीज़ों को खाने की इच्छा भी हो सकती है, और ज़रुरत से ज्यादा खाने से HbA1c स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है।  

 तनाव हार्मोन का बढ़ना:

अच्छी नींद की कमी से कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का स्राव(रिलीज़) होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। कोर्टिसोल के बढ़ते स्तर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से टाइप 2 मधुमेह में HbA1c स्तर बढ़ सकता है।

नींद का असंतुलित चक्र:

अनियमित नींद का पैटर्न और खराब नींद की गुणवत्ता शरीर की प्राकृतिक बॉडी क्लॉक की लय को बाधित कर सकता है। यह व्यवधान ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है, जिसके कारण HbA1c  स्तर बढ़ जाता है और मधुमेह प्रबंधन प्रभावित होता है।

नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए रणनीतियाँ

नींद की गुणवत्ता में सुधार और चैन की नींद वाली रातों की ओर बढ़ने के लिए, कुछ व्यावहारिक रणनीतियों को अपना कर, अच्छी नींद और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण के प्रभावी उपायों के बारे में जानें।

नींद की एक सही दिनचर्या बनायें:

एक सही नींद की दिनचर्या तय करें और हर रात 7-9 घंटे की स्वस्थ और पूरी नींद लेने का लक्ष्य रखें। अपने शरीर को यह संकेत देने के लिए कि यह आराम करने का समय है, सोने के समय की एक आरामदायक दिनचर्या बनाएं।

नींद के अनुसार माहौल बनाएं:

अपने कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखकर सोने के लिए अनुसार माहौल बनाएं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अपने सामने से हटा दें और सोने से पहले स्क्रीन के संपर्क में आना कम करें।

आराम की तकनीकों का अभ्यास करें:

आराम को बढ़ावा देने और तनाव के स्तर को कम करने के लिए सोने से पहले गहरी सांस लेने के व्यायाम, ध्यान या आसान योग जैसी गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

नियमित व्यायाम को बढ़ावा दें:

नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से बेहतर नींद की गुणवत्ता को बढ़ावा मिल सकता है। सप्ताह के ज्यादातर दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें।

भारी खाना खाने से बचे:

सोने से पहले कैफीन, निकोटीन और भारी खाने का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये नींद के पैटर्न और पाचन को बाधित कर सकते हैं।

टाइप 2 मधुमेह में HbA1c स्तर पर खराब नींद के प्रभाव को पहचानना, सफल मधुमेह प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। एक अच्छी नींद को प्राथमिकता दे कर और नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए रणनीतियां लागू कर के मधुमेह प्रबंधन की ओर आसानी से बढ़ा जा सकता है। 

याद रखें, एक स्वस्थ नींद न सिर्फ हमारे शरीर को आराम पहुँचाती है, बल्कि टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन और सम्पूर्ण कल्याण की एक एहम कुंजी भी है।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply