योग बनाये जीवन निरोग : जानिए सूर्य नमस्कार के सही चरण और लाभ

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सूर्य नमस्कार, जिसे सन सलुटेशन में नाम से भी जाना जाता है। पारंपरिक रूप से सुबह-सुबह सूर्य नमस्कार शरीर, मन और आत्मा को जागृत करने के लिए किया जाने वाला एक योग आसन है। यह अभ्यास भारतीय योग में शामिल है और इसके कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के कारण इसने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है। सूर्य नमस्कार को मुख्य रूप से योग दिनचर्या में वार्म-अप(शरीर को गर्म करना) के अभ्यास के रूप में किया जाता है।

सूर्य नमस्कार का अभ्यास कैसे करें?

सूर्य नमस्कार में आमतौर पर 12 मुद्राएं होती हैं। हर मुद्रा एक विशेष सांस प्रक्रिया के साथ मेल बिठाती है, जिससे एक लय के साथ और ध्यानपूर्ण गति बनती है। हालाँकि इस में विविधताएँ मौजूद हो सकती हैं, लेकीन एक सामान्य सूर्य नमस्कार संस्करण में शामिल हैं:

  • प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): अपनी चटाई के सामने हाथों को अपनी छाती पर प्रार्थना की स्थिति में रखकर खड़े हो जाएं। यह मुद्रा आभार और एक लक्ष्य स्थापित करने का प्रतिनिधित्व करती है।
  • हस्त उत्तानासन (उठाई हुई भुजा मुद्रा): सांस लें, अपनी बाहें उठाएं और अपनी पीठ को धीरे से झुकाएं, अपने शरीर को ऊपर की ओर खींचें।
  • हस्त पदासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा): सांस छोड़ें, कूल्हों पर झुकें और अपने हाथों को अपने पैरों के पास फर्श पर लाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने की कोशिश करें।
  • अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा): सांस लें, अपने दाहिने पैर को पीछे की ओर ले जाएं, जबकि अपने बाएं घुटने को मोड़कर अपने बाएं टखने के ऊपर रखें।
  • दंडासन (छड़ी मुद्रा): जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, अपने बाएं पैर को अपने दाहिने पैर से जोड़ने के लिए पीछे ले जाएं। आपका शरीर तख्ते की तरह एक सीधी रेखा में होना चाहिए।
  • अष्टांग नमस्कार (आठ अंगों वाली मुद्रा): अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए अपने घुटनों, छाती और ठुड्डी को फर्श पर टिकाएं। यह एक बदलाव किया गया लो प्लैंक पोज़ (मुद्रा) है।
  • भुजंगासन (कोबरा पोज़): सांस लें, अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखते हुए, हल्के बैकबेंड में आगे और ऊपर की ओर सरकें।
  • अधो मुख श्वानासन (नीचे की ओर मुहँ वाला कुत्ता आसन): सांस छोड़ें, अपने कूल्हों को उठाएं और अपनी हथेलियों और एड़ियों को जमीन पर रखते हुए उल्टे “V” आकार में वापस जाएं।
  • अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा): सांस  लें, और अपने दाहिने पैर को अपने हाथों के बीच आगे की ओर ले जाएं।
  • हस्त पदासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा): सांस छोड़ें, अपने बाएं पैर को अपने दाहिने पैर से मिलाने के लिए आगे लाएं और कूल्हों पर मोड़ें।
  • हस्त उत्तानासन (उठाई हुई बाहों वाली मुद्रा): सांस लें, अपनी बाहें फैलाकर ऊपर उठें और अपनी पीठ को थोड़ा झुकाएं।
  • प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): सांस छोड़ें, अपने हाथों को अपनी छाती पर प्रार्थना करते हुए अपने पहले स्थिति(पोजीशन) में लौट आएं।

सूर्य नमस्कार के यह चक्र करने से आप को कई लाभ मिल सकते हैं, जिनमें लचीलापन, बेहतर प्रसार(सर्कुलेशन), सांस में सुधार होना,शांति और एक बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की भावना शामिल है। अपने शरीर को समझना और अभ्यास का अपने आराम के अनुसार मेल बिठाना ज़रूरी है, मुख्य रूप से अगर आप योग में नए हैं या आप की कोई शारीरिक सीमाएँ हैं।

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