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RA फैक्टर टेस्ट (RA Factor Test) क्या होता है, जानिए कारण, लक्षण और इलाज

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RA Factor Test
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इंसान की सबसे बड़ी तकलीफ है बीमारी. जिसकी वजह से वह बेचैन, परेशान और दुखी रहता है. फिलहाल बीमारियां कई तरह की होती है, जिसका शिकार वह होता रहता है. उन्हीं में से एक है रेमटॉयड आर्थराइटिस. ये एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है, जिसमें रूमेटाइड फैक्टर हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला करने लगते हैं. जिसमें व्यक्ति को काफी दर्द, सूजन और जलन का सामना करना पड़ता है. इसी का पता लगाने के लिए आरए फैक्टर (RA Factor Test in Hindi) टेस्ट किया जाता है. जिसमें इंसान के शरीर में पाए जाने वाले तरह-तरह के प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है.

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क्या है RA फैक्टर

यह एक तरह का खास प्रोटीन होता है, जो किसी के भी शरीर में मौजूद हो सकता है. ये उन लोगों के शरीर में पाया जाता है, जिन्हें रेमटॉयड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) नामक ऑटोइम्यून बीमारी होती है. इस बीमारी के चलते ही लोगों को जोड़ों के दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है. RA फैक्टर प्रोटीन शरीर के टिशू के लिए खतरा हो सकता है. जिसके चलते ही शरीर में सूजन और दर्द का समस्या होती है. RA फैक्टर टेस्ट (RA Factor Test in Hindi) की मदद से डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा कितनी है और उन्हें रेमटॉयड आर्थराइटिस बीमारी होने का संभावना कितनी है. वैसे तो यह अधिकतर रूमेटोइड गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों वाले लोगों में मिलता है, लेकिन यह दूसरे लोगों में भी पाया जा सकता है.

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क्यों किया जाता है RA फैक्टर टेस्ट

कोई व्यक्ति रेमटॉयड आर्थराइटिस बीमारी से पीड़ित है कि नहीं यह जानने के लिए इस टेस्ट को किया जाता है. ताकि समय रहते उसका सही इलाज शुरू किया जा सकें. इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम आपके जोड़ों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं. जिसकी वजह से आपको जोड़ों के दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है. इस टेस्ट से डॉक्टर ये देखते हैं कि आपके शरीर में RF एंटीबॉडीज हैं और अगर है तो उनकी मात्रा क्या है.

RA फैक्टर टेस्ट से दूसरी बीमारियों का भी पता चल सकता है, जैसे- सिस्टमिक लूपस और स्जोग्रेन सिंड्रोम. ये दोनों ही रेमटॉयड आर्थराइटिस की तरह ही ऑटोइम्यून बीमारियां है. जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम आपके टिशूज पर हमला करते है और उसे नुकसान पहुंचाते हैं.

रेमटॉयड आर्थराइटिस का पता लगाने के लिए इस टेस्ट के साथ ही दूसरे टेस्ट भी किए जाते हैं, जैसे- एंटी-सायक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड जिसे anti-CCP टेस्ट भी कहा जाता है और दूसरे क्लिनिकल टेस्ट भी होते हैं, ताकि बीमारी का सही से पता लगाया जा सकें.

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कैसे किया जाता है RA फैक्टर टेस्ट

इस टेस्ट को कराने के लिए किसी तरह की खास तैयारी नहीं की जाती है. इस टेस्ट को ब्लड सैंपल से किया जाता है. इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले आपका ब्लड सैंपल लिया जाता है. जिसे आपके बांह की नस से लिया जाता है. आपके हाथ से लिए गए ब्लड सैंपल को टेस्ट ट्यूब में डाला जाता है और इसके बाद टेस्ट के लिए भेजा जाता है.

किल लोगों को करवाना चाहिए RA फैक्टर टेस्ट

इस टेस्ट को उन लोगों को करवाना चाहिए, जिन्हें जोड़ों की समस्याएं या सूजन समेत दूसरी स्वास्थ्य परेशानियां का सामना करना पड़ रहा हो. स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं.

  • वजन घटना
  • बुखार आना
  • कमजोरी होना
  • कम भूख लगना
  • ज्यादा पसीना आना
  • थकान महसूस करना
  • शरीर के किसी एक हिस्से में बार-बार दर्द होना
  • जोड़ों में सूजन आने के साथ ही उनका मुलायम होना
  • सीने में दर्द होना
  • शरीर के एक से ज़्यादा जोड़ों में दर्द और अकड़न का सामना करना
  • उँगलियों के जोड़ों में सूजन, दर्द, और उनके मुड़ने में परेशानी का सामना करना

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RA फैक्टर टेस्ट के रिजल्ट और नार्मल रेंज

ये टेस्ट दो तरह के होते हैं पहला पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव. अगर आपके टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका सीधा मतलब होता है कै कि आपको रेमटॉयड आर्थराइटिस और दूसरी ऑटोइम्यून बीमारियां है. वहीं, अगर आपके टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है तो इसका मतलब आपको किसी तरह की कोई ऑटोइम्यून बीमारी नहीं है.

इस टेस्ट की नॉर्मल रेंज पीड़ित के आयु, लिंग और टेस्ट की लक्षण के आधार पर अलग-अलग होती है.

  • 16 वर्ष से कम उम्र के बालक और बालिकाओं के टेस्ट का नार्मल रेंज 1:20 से नीचे होता है.
  • 16 से 65 वर्ष तक के युवा पुरुषों और महिलाओं के टेस्ट का नॉर्मल रेंज 1:40 से नीचे होता है.
  • 65 से अधिक पुरुषों और महिलाओं के टेस्ट का नॉर्मल रेंज 1:80 से नीचे होता है.
RA फैक्टर टेस्ट चार्ट
आयुनॉर्मल रेंज (पुरुष और महिला)
16 वर्ष से कम1:20 से नीचे
16 से 65 वर्ष1:40 से नीचे
65 से अधिक1:80 से नीचे

हालांकि अधिक उम्र के लोगों में RA फैक्टर का लेवल नॉर्मल रेंज से अधिक हो सकता है, लेकिन इसे इन्फ्लामेटरी का संकेत भी माना जा सकता है.

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रेमटॉयड आर्थराइटिस का इलाज

इसमें काफी दर्द का सामना करना पड़ता है. इसमें शरीर के जोड़ों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और इनको काफी नुकसान भी होता है. इस बीमारी का इलाज धीरे-धीरे किया जाता है. जिसमें दवाओं से लेकर लाइफस्टाइल में बदलाव करके किया जाता है.

दवाइयां

अगर आप इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं तो आपको डॉक्टर एंटी-इंफ्लैमेटरी दवाएं और डीएमआरडी दवा लेने की सलाह देते हैं. इनसे दर्द कम होता है और आपके जॉइंट भी हेल्दी होते हैं.

एक्सरसाइज

इस बीमारी में डॉक्टर आपको रोजाना व्यायाम करने की सलाह देते हैं. साथ ही यह भी बताते है कि कौन-से व्यायाम करने से आपके जॉइंट हेल्दी और लचीले बनेंगे. जिससे आपको जल्द-से-जल्द इस बीमारी से राहत मिल सकें.

डाइट

डॉक्टर आपको एक डाइट प्लान फॉलो करने के लिए कहेंगे. जो एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर खाने की चीजे शामिल होंगी. जो आपको जोड़ों को हेल्दी बनाने में मदद करेंगे.

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डिस्क्लेमर: इस लेख में बताई गयी जानकारी सामान्य और सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा सुझाव या सलाह नहीं है। अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। BeatoApp इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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BeatO इन-हाउस राइटिंग टीम द्वारा प्रकाशित रचनात्मक रूप से लिखे गये सेहत संबंधी लेख।

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